Pearl Millet in Hindi | बाजरा खाने के फायदे और नुकसान | Bajra in hindi 

pearl millet in hindi

इस लेख में जानेंगे बाजरा यानि की (Pearl Millet in Hindi), बाजरे के विभिन्न नाम, इसके फायदे और नुकसान ।

बाजरा | Pearl millet in hindi

बाजरा एक प्रमुख है। यह एक प्रकार का मोटा अनाज है जो भारत के कई क्षेत्रों में उगाया जाता है। बाजरे के दाने छोटे और सख्त होते हैं। बाजरा गर्मियों के मौसम में अच्छी तरह उगता है क्योंकि यह गर्मी और सूखे के प्रति सहनशील होता है।

बाजरा पोषण की दृष्टि से बहुत ही ज़्यादा लाभदायक होता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, मिनरल और फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। बाजरे के आटे से रोटी, भाजी, खिचड़ी आदि बनाई जाती है। यह हलका पचने वाला और पौष्टिक आहार है।

बाजरा कैसा होता है | Bajra Kaisa hot hai

बाजरा एक अनाज होता है। कुछ मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • बाजरे के पौधा लगभग 3-4 फीट ऊँचे होते हैं।
  • इसकी पत्तियाँ लंबी और चौड़ी होती हैं।
  • फूल और दाने भूरे रंग के होते हैं।
  • दाने छोटे आकार के और थोड़े चपटे होते हैं।
  • दानों का आकार चने की तरह होता है।
  • दाने कड़े और कोमल दोनों प्रकार के हो सकते हैं।
  • बाजरा गर्मियों की फसल है और गर्मी व सूखे के प्रति अत्यधिक सहनशील होता है।
  • बाजरे की फसल 3-4 महीने में तैयार हो जाती है।

बाजरा को अंग्रेजी में क्या कहते हैं | Bajra in English

Pearl millet बाजरे की एक प्रमुख किस्म है जो विश्व स्तर पर उगाया जाता है। इसे अंग्रेजी में निम्न नामों से भी जाना जाता है:

  • Bulrush millet
  • Cattail millet
  • Spiked millet

बाजरा गर्म और शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगाया जा सकता है। यह भारत, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में एक प्रमुख फसल है।

इस प्रकार अंग्रेजी में बाजरे को Pearl Millet कहा जाता है जो कि एक पौष्टिक और सूखा सहनशील फसल है।

बाजरा का वानस्पतिक नाम | Botanical name of pearl millet

बाजरे का वैज्ञानिक या वानस्पतिक नाम Pennisetum glaucum है। बाजरा Pennisetum जीनस की एक प्रजाति है। Pennisetum घास का एक जीनस है जिसमें कई महत्वपूर्ण फसलें शामिल हैं।

बाजरे की अन्य प्रजातियों के वैज्ञानिक नाम इस प्रकार हैं:

1. Pennisetum americanum – अमेरिकी बाजरा

2. Pennisetum orientale – पूर्वी बाजरा

3. Pennisetum violaceum – बैंगनी बाजरा

4. Pennisetum typhoides – अफ्रीकी बाजरा

बाजरे के भारतीय भाषाओं में नाम । Pearl Millet Name

बाजरे को भारत की विभिन्न भाषाओं में निम्नलिखित नामों से भी जाना जाता है:

हिंदी – बाजरा

मराठी – बाजरी

गुजराती – बाजरी

बंगाली – बाजरा

उड़िया – भाज्जा

तेलुगू – साज्जालु

कन्नड़ – साज्जे

मलयालम – कम्बु

तमिल – काम्बु

सिंधी – बाजरो

पंजाबी – बाजरा

बाजरा की खेती | Bajre ki kheti

भारत में बाजरे की खेती व्यापक स्तर पर की जाती है। राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश आदि राज्य बाजरे के प्रमुख उत्पादक हैं। हालांकि बाजरे की खेती में ढीली मिट्टी, कम वर्षा और कम उत्पादकता जैसी समस्याएं भी हैं। लेकिन सरकार द्वारा सिंचाई, बीज और तकनीकी सहायता मुहैया कराने से बाजरे की पैदावार में काफी सुधार हुआ है। भारत में बाजरा खाद्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण फसल बना हुआ है।

बाजरा भारत में एक महत्वपूर्ण फसल है। इसकी खेती करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:

जलवायु और मिट्टी – बाजरे की खेती में गर्म और शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र उपयुक्त होते हैं। ढीली रेतीली और हल्की मिट्टी बाजरे की खेती के लिए उपयुक्त होती है।

बुवाई का समय और तरीका – बाजरे की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है। बीज को पंक्तियों में बोया जाता है। पंक्तियों के बीच की दूरी 15-25 से.मी. होनी चाहिए।.

सिंचाई – बाजरे को बुवाई के बाद पानी की आवश्यकता होती है। फसल तैयार होने तक 2-3 बार सिंचाई करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण और उर्वरक – खरपतवार नियंत्रण करने के लिए निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। यूरिया और DAP जैसे उर्वरक डालने से अच्छी पैदावार मिलती है।

फसल संरक्षण – कीट और रोगों से बचाव के लिए सही कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए।

फसल कटाई और भंडारण – पूरी पकने पर बाजरे की कटाई कर टोकरियों में भरकर सूखे स्थान पर संग्रहीत किया जाता है। इस प्रकार उपयुक्त मौसम, मिट्टी और सही तकनीकों से बाजरे की अच्छी खेती की जा सकती है।

बाजरे के उत्पादन से कई लाभ हैं | Bajra ugane ke labh

पोषण – बाजरे में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज और फाइबर होते हैं। यह पौष्टिक आहार प्रदान करता है।

खाद्य सुरक्षा – बाजरा सूखे में भी अच्छी पैदावार देता है इसलिए यह खाद्य सुरक्षा में मदद करता है।

आय वृद्धि – बाजरे की खेती से किसानों की आय में वृद्धि होती है।

रोजगार – बाजरे से संबंधित गतिविधियाँ जैसे खेती, परिवहन, प्रसंस्करण रोजगार पैदा करती हैं।

पर्यावरणीय लाभ – बाजरा मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मदद करता है।

पशु चारा – बाजरे का चारा पशुओं के लिए पौष्टिक आहार है। इस प्रकार बाजरे का उत्पादन खाद्य सुरक्षा, आय वृद्धि और पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

बाजरा और ज्वार में अंतर | Different between Pearl millet and High tide

बाजरा और ज्वार दोनों ही मोटे अनाज की फसलें हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर भी होते हैं:

पौधे की विशेषताएँ 

बाजरे का पौधा 3-4 फीट ऊँचा होता है जबकि ज्वार का पौधा 6-8 फीट तक ऊँचा होता है। बाजरे की पत्तियाँ चौड़ी और लम्बी होती हैं जबकि ज्वार की पत्तियाँ संकरी और छोटी होती हैं। बाजरे के दाने छोटे आकार के होते हैं, ज्वार के दाने थोड़े बड़े होते हैं।

जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताएँ 

बाजरा गर्मी में अच्छी पैदावार देता है, जबकि ज्वार गर्मी व बारिश दोनों में अच्छी तरह उगता है। बाजरे को हल्की मिट्टी चाहिए, ज्वार भारी मिट्टी में भी अच्छा उगता है।

पानी की मात्रा 

बाजरे को कम पानी की जरूरत होती है, ज्वार को अधिक पानी चाहिए।

फसल अवधि 

बाजरे की फसल 3-4 महीने में तैयार हो जाती है जबकि ज्वार को 4-5 महीने लगते हैं।

उपयोग 

बाजरे का उपयोग मुख्य रूप से आटा, रोटी आदि बनाने में होता है, ज्वार से आटा के साथ-साथ अन्य व्यंजन भी बनते हैं। इस प्रकार, जबकि दोनों अनाज की फसलें हैं, बाजरा और ज्वार में विकास, जलवायु, मिट्टी और उपयोग के मामले में कुछ अंतर होते हैं।

बाजरा खाने के फायदे | Pearl Millet Benefits in hindi

बाजरा एक बहुत ही पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक अनाज है। इसे खाने से कई फायदे हैं जिसे हम निम्नलिखित रूप से समझ सकते है। 

उच्च पोषक तत्व

बाजरे में आयरन, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक हैं।

प्रोटीन का अच्छा स्रोत

बाजरे में प्रोटीन की मात्रा अन्य अनाजों की तुलना में अधिक होती है। प्रोटीन शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह हमारी कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों के निर्माण एवं मरम्मत में सहायक होता है।

ग्लूकोज का स्थिर स्तर

 बाजरे में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भरपूर होती है जो धीरे-धीरे पचकर ग्लूकोज में तब्दील हो जाता है। यह खून में शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में मदद करता है। और कार्बोहाइड्रेट हमारे  ऊर्जा प्रदान करता है।  

आँतों के लिए लाभदायक

बाजरे में उच्च फाइबर होता है जो पाचन में सुधार करता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है। यह आंतों की सफाई में मदद करता है।

वज़न नियंत्रण में सहायक

बाजरे में कम कैलोरी और उच्च फाइबर होने से इसे खाने से भरा हुआ महसूस होता है जिससे की  भूख काम लगती है और वज़न नियंत्रण में मदद मिलती है।

रक्तचाप को कम करने में सहायक

बाजरे में पोटेशियम और मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है, जो रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकते हैं।

मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी

बाजरे का नियमित सेवन मधुमेह रोगियों को अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। अतः स्पष्ट है कि बाजरे का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसे अपने आहार में शामिल कर इसके गुणों का लाभ उठाया जा सकता है।

अंकुरित बाजरा के फायदे | Sprouted Pearl Millet Benefits in hindi

अंकुरित बाजरे के कुछ महत्वपूर्ण फायदे निम्नलिखित हैं: 

पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है

अंकुरण से बाजरे में प्रोटीन, एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन और खनिज लवणों की मात्रा में वृद्धि हो जाती है।

पाचन में सुधार

अंकुरित बाजरे में फाइबर और एंजाइम्स की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं।

रक्तशर्करा को नियंत्रित करने में मदद

अंकुरित बाजरा ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करके रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है।

वज़न घटाने में सहायक

अंकुरित बाजरे में कम कैलोरी और अधिक फाइबर होता है, जो पेट भरा रखकर वज़न नियंत्रण में मदद करता है।

एंटी-कैंसर गुण

अंकुरित बाजरे में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोकेमिकल्स कैंसर के खतरे को कम करते हैं।

अस्थमा और एलर्जी से राहत

अंकुरित बाजरे में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो अस्थमा और एलर्जी के लक्षणों को कम करते हैं। इसलिए अंकुरित बाजरा खाने से सेहत को कई लाभ मिलते हैं।

बाजरा खाने के नुकसान | Pearl Millet side effects in hindi

बाजरा एक अत्यंत पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक अनाज है, लेकिन इसके फायदे के साथ साथ नुकसान भी हो सकते हैं जोकि कुछ ही व्यक्ति में देखे जाते है। 

गैस और पेट दर्द

बाजरे में फाइबर अधिक मात्रा में होता है। अत्यधिक मात्रा में बाजरा खाने से पेट में गैस बन सकती है और पेट दर्द की समस्या हो सकती है। अगर ऐसी परशानी आपको हो तो अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। 

कब्ज की समस्या

बाजरे का अत्यधिक सेवन कब्ज का कारण बन सकता है क्योंकि यह आंतों में जमा होकर मल को नरम बना देता है।  पानी  बढ़ा दें। 

पाचन में कठिनाई

कुछ लोगों को बाजरे को पचाने में कठिनाई हो सकती है। इसमें पाए जाने वाले रेशे और फाइबर पाचन तंत्र पर दबाव डाल सकते हैं।

शरीर में ऑक्सालेट

बाजरे में ऑक्सालिक एसिड होता है जो शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को कम कर सकता है और गुर्दे की पथरी का कारण बन सकता है।

एलर्जी

बाजरे से कुछ लोगों को एलर्जी जैसे चकत्ते, दस्त या श्वास की तकलीफ हो सकती है। इसलिए बाजरे का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। 

नोट : बिना डॉक्टर की सलाह के इसका अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए।

(FAQs) – पर्ल मिलेट (बाजरा) के लिए पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न

1. पर्ल मिलेट (Pearl Millet) क्या है?
पर्ल मिलेट, जिसे हिंदी में बाजरा के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख पौधा फसल है जिसके अनाज का उपयोग अनेक प्रकार से किया जाता है। यह धान्य उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है और खाद्य रूप में भी इस्तेमाल होता है।

2. बाजरे की खेती कैसे की जाती है?
बाजरे की खेती के लिए उचित मिट्टी, उच्च गर्मी और अच्छे बरसात की आवश्यकता होती है। बीजों को जमीन में बोने से पहले खेत को अच्छी तरह जोतना आवश्यक होता है। बाजरे की खेती सामान्यतः बरसाती ऋतु में की जाती है।

3. पर्ल मिलेट के क्या स्वास्थ्य लाभ हैं?
पर्ल मिलेट ग्लूटेन-फ्री होता है और यह अनेक पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, विटामिन्स, और मिनरल्स पाए जाते हैं। यह डायबिटीज़, हृदय रोग और मोटापे के खतरे को कम करने में मदद करता है और पाचन संबंधी समस्याओं को भी दूर करता है।

4. पर्ल मिलेट को खाने के लिए विभिन्न तरीके कौन-कौन से हैं?
पर्ल मिलेट को खाने के लिए विभिन्न तरीके हैं, जैसे कि दलिया, खिचड़ी, रोटी, उपमा, पुलाव, और केक आदि। इसे भीगकर और पकाकर भी खाया जा सकता है।

5. पर्ल मिलेट की पौध उगाने के लिए सही मिट्टी कौन सी होती है?
पर्ल मिलेट की उगाई के लिए भूरी मिट्टी जो धान्य के लिए उपयुक्त होती है, वह उचित होती है। इसमें पानी का बहाव अच्छा होना चाहिए और जलने से बचाने के लिए धान्य की खेती के लिए उपयुक्त होती है।

6. पर्ल मिलेट का सही समय पर कटाव कैसे किया जाता है?
पर्ल मिलेट को कटाने के लिए सबसे उचित समय उस समय होता है जब फूल खिल जाएँ और धान्य धारी हो जाएँ। धान्यों की धारी भूरे रंग में तब्दील हो जाएँ तो यह समझा जा सकता है कि बाजरे का समय पर कटाव हो सकता है।

7. पर्ल मिलेट को सही ढंग से स्टोर करने के लिए क्या करें?
पर्ल मिलेट को खुशबूहार और सूखे स्थान पर रखें, ताकि यह कीटाणु और नमी से बच सके। इसे बंद डिब्बे में रखकर स्टोर करें और उसे धूप में सुखाएं ताकि यह अच्छे से संरक्षित रहे।

8. पर्ल मिलेट की उचित खेती के लिए कौन-से खाद्य सामग्री का उपयोग करें?
पर्ल मिलेट की उचित खेती के लिए खेत की मिट्टी में घुड़सवार गोबर खाद, खड़ व निम्न उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है। इससे उपजाऊता बढ़ती है और पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति मिलती है।

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