भारत में कितने प्रकार की मृदा पाई जाती है

मृदा किसे कहते है?

मृदा, भूमि की ऊपरी स्तर को कहा जाता है, जिसमें पौधों का विकास होता है और जिसमें विभिन्न खनिज एवं जैविक तत्वों का मिश्रण होता है। मृदा, पौधिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण है और यह विभिन्न प्रकारों में आता है, जिसमें अलग-अलग खनिज एवं सामग्रियां होती हैं।

भारत में मृदा कितने प्रकार की पाई जाती है (Types of Soil in India)

भारत, एक विविध भूगोलिक स्थान होने के नाते, विभिन्न प्रकार की मृदा से समृद्ध है। यहां कुछ प्रमुख प्रकारों की मृदाएं हैं:

जलोढ़ मिट्टी

भारत में सबसे अधिक क्षेत्रफल में पाई जाने वाली जलोढ़ मिट्टी है, जिसे दोमट मिट्टी भी कहा जाता है। इसमें नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है, और यह उत्तर भारतीय क्षेत्रों में उच्च उत्पादन क्षमता के लिए प्रसिद्ध है।

काली मिट्टी

भारत में जलोढ़ मिट्टी के बाद सबसे अधिक इस्तेमाल काली मिट्टी का किया जाता है। इसमें लोहा, चूना, मैग्नीशियम एवं एलूमिना की मात्रा अधिक पाई जाती है, जिससे यह खेतों के लिए फलनशील होती है।

लाल एवं पीली मिट्टी

लाल मिट्टी तमिलनाडु राज्य में सबसे अधिक विस्तृत है, और इसमें आयरन ऑक्साइड की अधिक मात्रा होती है, जिससे इसका रंग लाल होता है। पीली मिट्टी, जो केरल राज्य में पाई जाती है, में वर्षा की अधिकता और लाल मिट्टी के संबंध में विशेषता होती है।

लैटराइट मिट्टी

भारत में लैटेराइट मिट्टी असम, कर्णाटक एवं तमिलनाडु राज्यों में पाई जाती है, और इसमें लौह आक्साइड एवं एल्यूमिनियम ऑक्साइड की अधिक मात्रा पाई जाती है, जिससे यह खेतों के लिए उपयुक्त होती है।

शुष्क मृदा (Arid soils)

शुष्क मृदा, जो की थार और राजस्थान क्षेत्रों में पाई जाती है, में जल की कमी होती है, जिसके कारण यह मिट्टी कुरुद्दीप, भुज, और कपास जैसी फसलों के लिए उपयुक्त नहीं होती है।

लवण मृदा (Saline soils)

लवण मृदा, जो की समुद्र के किनारे में पाई जाती है, में लवण की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह खेतों के लिए हानिकारक होती है।

पीटमय मृदा (Peaty soil)

पीटमय मृदा, जो केरल, असम, और वेस्ट बंगाल में मिलती है, में अधिकतम आक्सीजन की कमी होती है और यह मृदा अधिकतम उपजाऊ फसलों के लिए उपयुक्त है।

जैव मृदा (Organic soils)

जैव मृदा, जो जैविक तत्वों से भरपूर होती है, खेतों के लिए उपयुक्त है और इसमें जैविक खाद का अच्छा स्रोत होता है।

वन मृदा (Forest soils)

वन मृदा, जो जंगली क्षेत्रों में पाई जाती है, में यहां वृक्षों की गिरी छाया होती है, जिससे यह मिट्टी प्राकृतिक रूप से उपजाऊ होती है।

जलोढ़ मृदा या कछार मिट्टी (Alluvial soil)

जलोढ़ मृदा, जो भारत में सबसे अधिक फैली हुई मृदा है, जल स्रोतों के कारण गुणवत्ता से भरी होती है। इसमें लाइम, सिलिका, आयरन, फॉस्फेट, और पोटाश की अधिक मात्रा होती है, जिससे यह खेतों के लिए उपयुक्त होती है।

काली मृदा या रेगुर मिट्टी (Black soil)

काली मृदा, जो दक्षिण भारत में पाई जाती है, में इसमें गहरा रंग होता है और इसमें आयरन, बाकी मृदा से अधिक होता है। यह मृदा मोहरा, सोयाबीन, उड़द, और शेंगा जैसी फसलों के लिए अच्छी मानी जाती है।

लाल मृदा (Red soil)

लाल मृदा, जो दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में पाई जाती है, इसमें आयरन की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह रंग को लाल देती है। इसमें खाद्य फसलों के लिए उपयुक्त मिट्टी होती है।

लैटेराइट मृदा (Laterite)

लैटेराइट मृदा, जो भारत में उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है, में यह मृदा धातुओं के अच्छे स्रोत के रूप में जानी जाती है।

इस प्रकार, भारत में विभिन्न प्रकार की मृदाएं हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में उपज की विविधता को बढ़ाती हैं।

जैविक खाद (Organic Fertilizer) कैसे बनता है

जैविक खाद, पौधिक उत्पादन में सुधार करने के लिए एक प्रमुख तंतु है और यह किसानों को उचित खादी बनाने का एक सस्ता और प्रभावी तरीका प्रदान करता है। यहां हम जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया को कई कदमों में विवरणित करेंगे:

कदम 1: सामग्रियां इकट्ठा करें

पहले कदम में, आपको जैविक खाद बनाने के लिए आवश्यक सामग्रियों को इकट्ठा करना होगा। इसमें कच्चे घास का कच्चा (कच्चे घास का कम्पोस्ट), खाद्य अपशिष्ट, गोबर, नींबू बुटी, खाद्य बनाने वाली बची हुई सब्जियां, और बाकी जैविक सामग्रियां शामिल हो सकती हैं।

कदम 2: सामग्रियों को शक्तिशाली बनाएं

इकट्ठी सामग्रियों को एक स्थान पर रखें और इन्हें अच्छे से मिश्रित करें। आप इसे बड़े बालू के खाद्य क्षेत्र में रखकर उचित तापमान और गुदा मामृत से इसे शक्तिशाली बना सकते हैं।

कदम 3: तापमान और गुदा मामृत का उपयोग करें

सामग्रियों को मिश्रित करने के बाद, तापमान और गुदा मामृत का उपयोग करें। इससे सामग्रियों में आवश्यक तापमान और उपयोगी कीटाणु उत्पन्न होंगे, जो खाद्य में सुधार करेंगे।

कदम 4: स्टैकिंग और फिल्ट्रेशन

तापमान और गुदा मामृत के बाद, आपको इसे स्टैक करना होगा। स्टैकिंग से सामग्री तैयार होती रहेगी और इसे बारिक से छलका कर आप उसे अच्छे से फिल्टर कर सकते हैं।

कदम 5: जैविक खाद तैयार है

इस प्रक्रिया के बाद, आपकी जैविक खाद तैयार है। इसे अपने खेतों में छिड़कें और आप देखेंगे कि आपकी उपज में सुधार हो रहा है।

इस प्रकार, मृदा और जैविक खाद दोनों ही अग्रणी भूमि संसाधन हैं, जो किसानों को उचित उत्पादन की दिशा में मदद कर सकते हैं। इसलिए, हमें इनका सही रूप से प्रबंधन करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इससे होने वाले संकटों से निपटा जा सके।