जूट की खेती: पूर्वदृष्टि, जानकारी, और विशेषताएं

जूट उत्पादन का लगभग 67% हिस्सा भारत में होता है, जिसमें से 7% किसानों के पास है और बाकी जूट इटली, संयुक्त राज्य अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, और जर्मनी में निर्यात किया जाता है। जूट की खेती कैसे की जाती है और इसमें वर्षा और विशेषताएं कैसे महत्वपूर्ण हैं, इसके बारे में जानकारी यहां दी जा रही है।

जूट की खेती में उपयुक्त भूमि

जूट की खेती हल्की बालूई दोमट मिट्टी में की जाती है, और यह जल भराव वाली भूमि में नहीं की जानी चाहिए। भूमि का P.H. मान सामान्य होना चाहिए और जूट का पौधा आद्र और गर्म जलवायु को पसंद करता है। यह बारिश के मौसम में अच्छी उपज के लिए आदर्श है, लेकिन अत्यधिक बारिश हानिकारक हो सकती है।

जूट की उन्नत किस्में

वर्तमान में कई उन्नत जूट किस्में उगाई जा रही हैं। कैपसुलेरिस प्रजाति में जे.आर.सी. – 321, यू.पी.सी. – 94, जे.आर.सी. – 212, और एन.डी.सी. शामिल हैं। ओलिटोरियस प्रजाति में जे.आर.ओ. – 632, जे.आर.ओ. – 66, और जे.आर.ओ. – 878 शामिल हैं।

किस्मों की विशेषताएं

  • जे.आर.सी. – 321: कम समय में पकने वाली जूट, उत्पादन में उत्कृष्ट।
  • यू.पी.सी. – 94: रेशमा क़िस्म, उच्च पैदावार और उत्तम गुणवत्ता।
  • जे.आर.सी. – 212: मध्यम और ऊँची भूमि के लिए उपयुक्त, तेजी से कटाई के लिए तैयार होती है।
  • एन.डी.सी.: निचली भूमि में उगाई जाने वाली, फ़रवरी से मार्च में बोई जा सकने वाली क़िस्म।
  • जे.आर.ओ. – 632: देव और टोसा जूट, मीठे स्वाद वाली पत्तियों के साथ।
  • जे.आर.ओ. – 66: ऊँची भूमि के लिए उगाई जाने वाली, उच्च पैदावार और अच्छी गुणवत्ता।
  • जे.आर.ओ. – 878: किसी भी प्रकार की भूमि के लिए उपयुक्त, उच्च पैदावार और अच्छी रेश गुणवत्ता।

इस रूपरेखा के साथ, जूट की खेती कैसे की जाती है और इसमें सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक जानकारी उपलब्ध है।

जूट की खेती (Jute Farming) से जुड़ी जानकारी

जूट की खेती व्यावसायिक रूप में नकदी फसल के लिए की जाती है। इसका पौधा द्विबीजपत्री, रेशेदार होता है, जिसमें पतला और बेलनाकार तना निकलता है। इसे पटसन भी कहा जाता है। जूट का पौधा 6 से 10 फीट लंबा होता है, तथा पौधे को सड़ाकर ही रेशा तैयार किया जाता है। इस रेशे से टाट, बोरे, दरी, रस्सियाँ, तम्बू, तिरपाल, कागज और कोटि के कपड़ों को बनाया जाता है, जिससे लोगों को नकदी पैसा मिलता है। जूट का पौधा आद्र और गर्म जलवायु वाला होता है, इस वजह से इसकी खेती को नम हवा की जरूरत होती है। भारत में जूट की खेती उड़ीसा, बंगाल, असम, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ तराई क्षेत्रों में की जाती है।

जूट के खेत की तैयारी (Jute Cultivation Preparation)

जूट की खेती करने से पहले उसकी भूमि को ठीक से जरूर तैयार करें। खेत जितनी अच्छी तरह से तैयार होगा, पैदावार भी उतनी अच्छी मिलेगी। भूमि तैयार करते समय हलों से गहरी जुताई कर खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दें। इससे भूमि में गहराई तक सूर्य की धूप लग जाती है। इसके बाद गोबर की खाद डालें और कल्टीवेटर लगाकर दो से तीन तिरछी जुताई करें। इस तरह से खाद मिट्टी में अच्छे से मिल जाएगी, और फिर पानी लगा दें। पानी लगाने के कुछ दिन बाद जब खरपतवार निकलने लगे तो रोटावेटर लगाकर जुताई करवा दें। इससे मिट्टी नम और भुरभुरी हो जाएगी। नमी युक्त भूमि में बीज अंकुरण की क्षमता बढ़ जाती है, और बीज अच्छे से वृद्धि करता है।

जूट के बीजों की रोपाई का समय और तरीका (Jute Seeds Transplanting Method and Time)

जूट के बीजों की रोपाई बीज के रूप में गेहूं और बाजरे की तरह छिड़काव और ड्रिल विधि द्वारा की जाती है। छिड़काव विधि में बीजों को जुते हुए समतल खेत में छिड़ककर हल्की जुताई कर के मिट्टी में अच्छे से मिला दिया जाता है। इसके अलावा ड्रिल के माध्यम से भी बीजों की बोना जा सकती है।

बायें या किस्सान के हाथ से बीजों की रोपाई करते समय सुबह का समय सबसे उचित होता है। बीजों की रोपाई के दौरान खाद डालना बहुत जरूरी है। इसमें जिवाणुनाशक और खाद्य सामग्री मिला कर खाद को स्थिर करें। रोपाई के बाद पानी दें तथा खेत की स्थिति की जाँच करें।

जूट की खेती में अन्य जरूरी चीजें (Other Important Aspects of Jute Farming)

  • बीजों की चयन (Seed Selection): जूट की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें।
  • जल सारंग (Irrigation): जूट की खेती में नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • उर्वरक (Fertilizers): उर्वरकों का सही समय पर और उचित मात्रा में प्रदान करें।
  • रोग और कीट प्रबंधन (Disease and Pest Management): जूट की खेती में पौधों को रोगों और कीटों से बचाने के लिए उपयुक्त उपायों का अनुसरण करें।
  • कटाई (Harvesting): जूट की पौधों की कटाई को उचित समय पर करें।
  • सुरक्षा (Safety Measures): जूट की खेती के दौरान सुरक्षा के लिए उचित सुरक्षा उपायों का पालन करें।

यदि आप जूट की खेती कर रहे हैं, तो यह अनुसंधान, योजना, और प्रबंधन के तरीकों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। इससे आप अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं और खेती को सफलता प्राप्त कर सकते हैं।