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कृषि पर आधारित उद्योग से सम्बन्धित जानकारी
कृषि भारत में सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा उद्योग है, जो रोजगार का मुख्य स्रोत है। भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है, और इसका योगदान अर्थव्यवस्था में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं। लेकिन अब ग्रामीण लोग शहरों की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि की स्थिति में पिछड़ावा हो रहा है।
कृषि उद्योग किसे कहते है (Agriculture Industry)
कृषि उद्योग एक ऐसा उद्योग है जो किसानों द्वारा उत्पन्न कच्चे माल का प्रबंधन करता है और इसे उच्च-मूल्य उत्पादों में बदलता है। इसमें चीनी, कपास, तिलहनी, और जूट जैसी उत्पादों का उत्पादन शामिल है। यह उद्योग किसानों को नए रोजगार के अवसर प्रदान करता है और उत्पादित वस्त्रों, आहार, और अन्य सामग्रीयों की आपूर्ति करता है।
कृषि आधारित उद्योग कौन कौन से हैं (Agriculture/Agro Based Industries)
- चीनी उद्योग: गन्ने के रस से चीनी उत्पादन करने वाला उद्योग।
- सूती वस्त्र उद्योग: कपास से बने वस्त्रों का उत्पादन करने वाला उद्योग।
- वनस्पति तेल उद्योग: तिलहनी से निर्मित तेलों का उत्पादन करने वाला उद्योग।
- रबर उद्योग: रबर के उत्पादों का निर्माण करने वाला उद्योग।
- दुग्ध व्यवसाय: दूध उत्पादन और प्रसंस्करण के लिए उद्योग।
- कृषि यंत्र उद्योग: कृषि मशीनों और यंत्रों का निर्माण करने वाला उद्योग।
- खाद बीज उत्पादन उद्योग: खाद के बीजों का उत्पादन करने वाला उद्योग।
- पशु आहार / खाल उद्योग: पशुओं के लिए आहार और खाल का निर्माण करने वाला उद्योग।
- कृषि जींस उद्योग: पापड़, आटा, दलिया, सोस, शक्कर, पाउडर, चिप्स, अचार, गुलकंद, जेली, मिर्च-धनिया, घी/पनीर/मक्खन, और शरबत जैसे उत्पादों का निर्माण करने वाला उद्योग।
सूती वस्त्र उद्योग (Cotton Textile Industry)
सूती वस्त्र उद्योग देश में विशेष महत्वपूर्ण है, जो कपास से बने कपड़ों का उत्पादन करता है। यह उद्योग किसानों को संभावित रोजगार और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का एक सुरक्षित बाजार प्रदान करता है।
ऊनी कपड़ा उद्योग (Woolen Textile Industry)
ऊनी कपड़ा उद्योग ने ब्रिटिश सरकार द्वारा 1876 में कानपुर में स्थापित की गई थी और स्वतंत्रता के बाद इसे विकसित किया गया। इसमें ऊनी कपड़े की उत्पादन और निर्यात किया जाता है, जिससे उद्योग को एक नई दिशा में ले जाया गया है।
जूट उद्योग (Jute Industry)
1855 में कोलकता के रिशरा में स्थापित देश के पहले आधुनिक जूट मिल ने वर्ष 1859 में जूट की कटाई और बुनाई का कार्य शुरू किया। स्वतंत्रता के पश्चात्, इस उद्योग की निर्यातों में वृद्धि हुई, लेकिन बांग्लादेश में 80% जूट उत्पादन के कारण देश में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस समस्या का समाधान करने के लिए जूट एवं मेस्टा उत्पादन के क्षेत्रों का विस्तार किया गया है।
जूट के उत्पाद में रस्सी, बोरा, थैते और कालीन शामिल हैं, और इसका उपयोग रोकड़, प्लास्टिक फर्नीचर, और विरंजन रेशों के निर्माण में होता है। भारत जूट उत्पादक और निर्यातक का दूसरा सबसे बड़ा देश है, जिससे लगभग 40 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है, जिसमें 4 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर्मचारी शामिल हैं।
चीनी उद्योग (Sugar Industry)
भारत में प्राचीन काल से ही चीनी का उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन चीनी उद्योग का पहला विकास 20वीं शताब्दी के पहले दशक से हुआ है। चीनी उद्योग के मामले में भारत दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पाद वाला देश है। इसका कच्चा माल गन्ने में होता है, जिसमें विशेषताएं होती हैं।
- तेजी से वजन खो देना: यह कच्चा माल तेजी से वजन खो देता है।
- लंबे समय तक भंडारित नहीं कर सकता: इसे लंबे समय तक भंडारित नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे सुक्रोज की हानि होती है।
- दूरी पर नहीं ले जाया जा सकता: इस कच्चे माल को लंबी दूरी पर नहीं ले जा सकते हैं, क्योंकि इसमें परिवहन की लागत और सूखने की आशंका होती है।
चर्म उद्योग (Leather Industry)
इस उद्योग में चमड़े को भेड़ की खाल से प्राप्त किया जाता है। तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल देश के सबसे बड़े गौ पशु खाल उत्पादक राज्य हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी चमड़े का मुख्य उत्पादन होता है।
कृषि आधारित सबसे बड़ा उद्योग (Agro-Based Largest Industry)
कपड़ा उद्योग भारत का सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है, जो देश का सबसे बड़ा उद्योग भी है। इसका कुल औद्योगिक उत्पादन में लगभग 20% हिस्सेदारी है, और इससे लगभग 20 मिलियन से भी अधिक लोग जुड़े हुए हैं। इसका कुल निर्यात लगभग 33% है, जिससे वैश्विक व्यापार में 5% योगदान शामिल है।
कृषि उद्योग लोन कैसे प्राप्त करें (Agriculture Industry Loan)
कृषि उद्योग को बढ़ाने और कृषि आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई तरह की योजनाएं संचालित करती हैं। उद्योग से संबंधित योजनाओं में आवेदन करके आप लोन प्राप्त कर सकते हैं। MSME मंत्रालय के माध्यम से सरकार ऐसे उद्योगों को स्थापित करने पर अनुदान प्रदान करती है। इसके अलावा, चमड़ा उद्योग विकास योजना, क्रेडिट गारंटी निवेश योजना और खाद्य वस्त्र उद्योग जैसी योजनाओं के माध्यम से 50,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये के लोन की सहायता प्रदान की जाती है।